नव संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : राजधानी के सरकारी अस्पतालों में थैलासीमिया के सर्वाधिक मरीज डीडीयू अस्पताल में आ रहे हैं। जिन मरीजों में थैलासीमिया की पुष्टि हो रही है उनमें सबसे अधिक संख्या गर्भवती महिलाओं की है।
दिल्ली सरकार के तीन अस्पतालों में अभी थैलासीमिया जांच की सुविधा उपलब्ध है। इनमें जीटीबी अस्पताल, डीडीयू व एलएनजेपी अस्पताल शामिल हैं। पिछले वर्ष एलएनजीपी में 35 व जीटीबी में 133 मामले थैलासीमिया के सामने आए, वहीं डीडीयू में थैलासीमिया के पिछले वर्ष 217 मामले आए। थैलासीमिया विभाग के डॉ. दिनकर बताते हैं कि डीडीयू में थैलासीमिया के कुल मामलों में 17 फीसद संख्या गर्भवती महिलाओं की है। सुकून की बात यह है कि पिछले वर्ष के आंकड़ों के आधार पर ज्यादातर मरीज मेजर श्रेणी के सामने नहीं आ रहे हैं। फिलहाल, डीडीयू में 224 मरीज मेजर श्रेणी के पंजीकृत हैं। इन मरीजों को हर 21 वें दिन पर अस्पताल में खून चढ़ाया जाता है।
क्या है थैलासीमिया
यह जीन की गड़बड़ी से होने वाली बीमारी है। इसमें मरीज के रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा काफी कम हो जाती है। इससे प्रभावित व्यक्ति में स्वच्छ रक्त कणिकाओं का निर्माण पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाता। इससे प्रभावित व्यक्ति को जीवनपर्यत बाहरी रक्त की जरूरत होती है। करीब 17 फीसद भारतीय इस बीमारी से पीड़ित हैं। डॉ. दिनकर बताते हैं कि अफगानिस्तान व पाकिस्तान से आए लोगों में इस बीमारी के लक्षण अधिक पाए जाते हैं। भारत में यह बीमारी पंजाब व हरियाणा जैसे प्रदेशों में अधिक पाई जाती है। इस बीमारी का पूर्ण उपचार अस्थि मज्जा का प्रत्यारोपण है, लेकिन यह विधि काफी महंगी है।
जागरूकता जरूरी
डॉ दिनकर बताते हैं कि जीन की गड़बड़ी से होने वाली बीमारी के संबंध में लोगों में जितनी जागरूकता होनी चाहिए, उसका अभाव है। थैलासीमिया से ग्रस्त युवक की शादी इस बीमारी से पीड़ित युवती से हो जाए तो बच्चे में शत प्रतिशत इस बीमारी से ग्रस्त होने की संभावना रहती है। ऐसे में प्रभावित युवक के लिए शादी से पूर्व डॉक्टरी सलाह जरूरी है।